शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

चिकित्सक के गलत इलाज सेमरीज किसी तरह बच पाया।निकला उसके अस्पताल सेघर पहुंचकर ही सांस ले पाया।कभी सिर में दर्द रहतातो कभी पांव से चलते हुए तकलीफ होती‘जान बच गयी लाखों पाये’यही सोचकर तसल्ली कर सब सहताएक दिन उसे वकील से मिलने का ख्याल आया।उसने जाकर उसे सब हाल बताया।वकील ने उसेक्षतिपूर्ति का मुकदमा करने की दी सलाहसाथ में चिकित्सक को भी नोटिस थमाया।अब तो बढ़ गया झगड़ाबदले हालत मेंमरीज खुशी से हो गया तगड़ाइधर चिकित्सक को भी समझौते के लियेलोगों ने समझाया।दोनों अपने वकीलों के साथ मिले एक जगहढूंढने लगे झगड़े की सही वजहमरीज और चिकित्सक के वकील नेदोनों को समझौते की लिए राजी कराया।चिकित्सक ने मरीज की दस हजार फीस में सेपांच हजार उसके वकील औरपांच हजार अपने वाले को थमाया।दोनों ने अपने पैसे अपनी जेब में रख लियेयह देखकर‘मेरे दस हजार कहां हैमुझे वापस दिलवाओ’मरीज चिल्लाया।मरीज का वकील बोला-‘पगला गये होतुमने चिकित्सक का कितना नुक्सान करायातुम्हारे इलाज पर इतनी दवायेें लगाईअपने लोगों से मेहनत कराईफिर भी उनके हाथ कुछ नहीं आया।तुमने मुफ्त मेंउनके फाईव स्टार नुमा अस्पताल मेंचार रातों के साथ दिन बिताया।अब उनकी क्या गलती जोतुमने आराम न पाया।मैंने तुम्हें मुकदमें के लियेभागदौड़ करा कर चंगा कर दियायही काम यह चिकित्सक भी करतेतो यह परेशानी नहीं आतीअपनी इसी गलती काबिल इन्होंने भर दियाक्या यह कम हैतुम तो अब स्वस्थ हो गयेफिर काहे का गम हैतुम्हें ठीक करने की फीसहम दोनों वकीलों ने ले लीतुम तो खर्च कर ही चुकेस्वस्थ होकर हर्जाना नहीं मांग सकतेबिचारे चिकित्ससक साहब का सोचोजिनके हाथ कुछ न आया।’
---- किराये की कविता,,

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