रविवार, 29 अगस्त 2010

नया आलू, इसमें भी धोखा है
- पुराने आलू में बालू और मिट्टी मिलावट उसे नया बताया जा रहा है
- नया बताकर पुराना आलू दोगुना दाम पर बेच रहे हैंबरेली। अरे भाई, नया आलू के मोह में मत पडिय़े, इसमें भी धोखा है। सब्जी बाजारों में नया आलू के नाम पर आप ठगे जा रहे हैं। वास्तव में यह नया नहीं पुराना आलू ही है। पुराने आलू में रंग-रोगन कर उसे नया बताकर दोगुने दामों पर बेचा जा रहा है। यह भी दावा किया जा रहा है कि यह मीठा नहीं है, यह सही है कि मीठा नहीं होगा लेकिन पुराना आलू ही है। पुराने आलू को नया करने का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है।दरअसल पुराने आलू में हल्का मीठापन आ गया है। इसलिए उसकी सब्जी स्वादिष्ट नहीं बनती। ग्राहकों की मांग है कि आलू मीठा न हो। ग्राहकों की मांग को भुनाने के लिए व्यापारियों ने ठगने का नया तरीका निकाल लिया है। नाम न छापने की शर्त पर कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुराने आलू को नया करने का खेल कोल्ड स्टोरों में चल रहा है। दरअसल कोल्ड स्टोर में आलू को लंबे समय तक रखने के लिए उसमें सीआईपीसी ट्रीटमेंट किया जाता है। इस ट्रीटमेंट के कारण आलू में हफ्तेभर मीठापन नहीं होता है। इसी दौरान वह इस आलू में लाल महीन बालू और लाल मिट्टी मिला देते हैं। इसमें मिट्टी चिपक जाती है और इसे नया आलू बताकर फुटकर बाजारों में 16-18 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है जबकि पुराना आलू मात्र आठ रुपए किलो है। बता दें कि इस दौरान नया आलू बंगलौर और चंपावत से आ रहा है। नया आलू बहुत कम आ रहा है और नया के नाम पर सब्जी बाजारों में मिलावटी आलू भरा है।

कहां बनाते हैं पुराना से नया आलूपुराने आलू को नया बनाने का काम कोल्ड स्टोर में हो रहा है। सीआईपीसी तकनीक के तहत आलू में केमिकल छिड़का जाता है। फिर उसे निकालकर महीन लाल बालू के ऊपर फैला दिया जाता है। इसी में ऊपर से लाल मिट्टी डालकर हल्के पानी का छिड़काव करते हैं। इसके बाद मिट्टी और बालू में आलू को पैर से रगड़ देते हैं। आलू का छिलका छूट जाता है और उसे नया बताकर बाजार में बेचा जा रहा है।

क्या है सीआईपीसी तकनीकउद्यान विशेषज्ञों ने बताया कि कोल्ड स्टोर में रखे आलू पर केमिकल का छिड़काव करते हैं। इसे सीआईपीसी तकनीक कहते हैं। छिड़काव करने से आलू को 10-12 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर हफ्ते भर आसानी से रखा जा सकता है और वह मीठा भी नहीं होगा। इस तकनीक का इस्तेमाल कोल्ड स्टोर वाले अपने फायदे के लिए करते हैं, क्योंकि इसमें इस्तेमाल न करने से आलू को 4-5 डिग्री तापमान पर रखना पड़ता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें