गुरुवार, 2 सितंबर 2010

बरेली में स्वाथ्य का हाल
यहा एक स्वाथ्य केंद्र ऐसा है
जहा dr. नहीं आते है

गनर लेकर अस्पताल आती हैं डाक्टर मैडम
बड़ागांव पीएचसी पर तीन माह में एक बार आती हैं डाक्टर
संयोग से खुलता है अस्पताल का दरवाजा
बरेली
दिन मंगलवार,
समय 12:30 बजे,
स्थान- नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ागांव, मझगवां।
इस पांच बेड के अस्पताल में ताला लगा है और चार मरीज गेट पर बैठे हैं। वह इस इंतजार में कि शायद दो बजे तक फार्मासिस्ट आ जाएगी तो दवा मिल जाएगी। यह हाल केवल बड़ागांव के अस्पताल का नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के कई अस्पतालों का है। डाक्टर, फार्मासिस्ट और अस्पताल स्टाफ आदि अक्सर गायब रहते हैं।बड़ागांव अस्पताल की बात करें तो कई रोचक तथ्य निकलकर आए। अस्पताल के आसपास रह रहे लोगों से इसके बारे में पूछा तो पता चला कि लोग डाक्टर का नाम भी नहीं जानते हैं। यहां तक गांव के प्रधान देवेंद्र सिंह भी उनका नाम नहीं जानते हैं। प्रधान ने ही बताया कि अस्पताल में महिला डाक्टर की तैनाती है। वह तीन महीने में एक बार 30 अगस्त को आई थी। उनके साथ तीन गनर थे, इसलिए मरीजों की उनसे मिलने की हिम्मत नहीं पड़ी। साल भर हो गए लेकिन किसी ने उनका नाम नहीं पूछा और कहीं उनका नेम प्लेट भी नहीं लगा है। जबसे उनकी पोस्टिंग हुई, शायद ही उन्होंने किसी मरीज का इलाज किया हो। वह अलीगढ़ की रहने वाली हैं। यह हाल डाक्टर साहिबा का है।

कभी-कभी आती हैं फार्मासिस्ट
स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात फार्मासिस्ट संगीता सिंगरान तीन दिन गैनी और तीन दिन इस अस्पताल में नौकरी करती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वह सप्ताह में एक-दो दिन आती हैं। कभी-कभी पूरा सप्ताह वह गायब रहती हैं। इनके अलावा एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, जो चंदौसी का रहने वाला है। ग्रामीणों ने बताया कि वह बहुत कम आते हैं और अस्पताल में ताला लगा रहता है। इसी परिसर में डाट्स सेंटर खोला गया है। जिसकी स्थिति और खराब है। वह महीने में एक या दो बार आता है।

खुद की बर्बादी पर रोता अस्पताल
करीब 15 साल पहले 12 लाख की लागत से पांच बेड का नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया। यहां पर डाक्टरों और कर्मचारियों को रहने के लिए आवास, पानी टंकी और बिजली आदि का इंतजाम है। इन इंतजामों के बाद भी वहां कोई नहीं रहता है और अस्पताल खंडहर में तब्दील हो रहा है। पांच बेड में से तीन बेड गायब हो चुके हैं और पंखे, ट्यूबलाइट भी नदारत है। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल के दो बेड फार्मासिस्ट ले गई और एक बेड डाक्टर। इसी तरह पंखे आदि भी अस्पताल स्टाफ ने गायब कर दिये। बचे हुए खिड़की दरवाजे ग्रामीण गायब कर रहे हैं।

पूर्व विधायक ने कई बार की शिकायत
अस्पताल में डाक्टर और स्टाफ न बैठने की शिकायत आंवला के पूर्व विधायक श्याम बिहारी सिंह ने सीएमओ और कई अधिकारियों से की। इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। मंगलवार को भी वह मौके पर पहुंचे और बताया कि स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों के प्रति बिलकुल उदासीन है। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन से आई धनराशि का बंदरबांट हो रहा है और गांव वालों का इलाज नहीं हो रहा है।

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